रक्त का प्रवाह तीव्रता से चल पड़ा ह्रदय जोर जोर से धड़कने लगा , रक्त का प्रवाह तीव्रता से चल पड़ा ह्रदय जोर जोर से धड़कने लगा ,
तुम गलत सोचती हो संध्या, कोई सूर्य से नहीं डरता, मैं स्वर्णिम रोशनी देती हूँ, स्वर्णपुरी में रहती... तुम गलत सोचती हो संध्या, कोई सूर्य से नहीं डरता, मैं स्वर्णिम रोशनी देती हूँ, ...
और अति शोक को महसूस किया है। और अति शोक को महसूस किया है।
क्षण भंगुर संसार है यह, मिट्टी का है तू, मिट्टी में मिल जाएगा। क्षण भंगुर संसार है यह, मिट्टी का है तू, मिट्टी में मिल जाएगा।
अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप। अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप।
मृत्यु का भार सहोगे अब कैसे फसलों को भी सिंचोगे। मृत्यु का भार सहोगे अब कैसे फसलों को भी सिंचोगे।